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अर्थ : साहित्य में नौ रसों में से एक जो अयुक्त,असंगत,कुरूप या विकृत घटनाओं,पदार्थों या बातों आदि से उत्पन्न होता है।
उदाहरण : हास्य का स्थायी भाव हास या हँसी है।
पर्यायवाची : हास्य
ସାହିତ୍ୟର ନବ ରସଗୁଡ଼ିକରୁ ଗୋଟିଏ ଯାହା ଅଯୁକ୍ତ,ଅସଙ୍ଗତ,କୁରୂପ ବା ବିକୃତ ଘଟଣାବଳୀ,ପଦାର୍ଥ, ବା କଥା ଆଦିରୁ ଉତ୍ପନ୍ନ ହୋଇଥାଏ
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