अर्थ : तंत्र के अनुसार सुषुम्ना नाड़ी के बीचोंबीच दोनों भौंहों के बीच का बिन्दु।
उदाहरण :
आज्ञाचक्र को दो दलों के कमल के आकार का माना जाता है और ध्यानावस्था में इसी पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।
पर्यायवाची : आज्ञा-चक्र, आज्ञाचक्र, शिवनेत्र