अर्थ : वह वाद या सिद्धांत जिसमें सामंतों, सरदारों और ज़मींदारों आदि को किसानों, खेतीबारी की ज़मीनों आदि के संबंध में बहुत अधिकार या पूरे-पूरे अधिकार होते हैं।
उदाहरण :
यूरोप में आठवीं सदी में सामंतवाद का प्रचलन था।
पर्यायवाची : सामंतवाद