अर्थ : वह दास जो पहले अपने स्वामी से इकट्ठा धन लेकर और तब उसकी सेवा में रहकर वह धन चुकाता रहे।
उदाहरण :
आहित जीवनभर केवल ब्याज ही पटाता रह गया।
अर्थ : धरोहर रखा हुआ।
उदाहरण :
किसान आहित गहनों को छुड़ाने गया है।