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अर्थ : दंडक वृत्त का एक भेद जिसके विषम चरणों में त, त, ज, तथा दो गुरू और सम चरणों में ज, त, ज तथा दो गुरू होते हैं।
उदाहरण : यह इंद्रवज्रा और उपेंद्रवज्रा के योग से बनती है।
ଦଣ୍ଡକ ବୃତ୍ତର ଗୋଟିଏ ଭେଦ ଯାହାର ବିଷମ ଚରଣରେ ତ, ତ,ଜ ତଥା ଦୁଇଟି ଗୁରୁ ଏବଂ ସମଚରଣରେ ଜ,ତ,ଜ ତଥା ଦୁଇଟି ଗୁରୁ ହୁଏ
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