अर्थ : पिंडदान की नगरी गया के पास के माढ़नपुर का वट वृक्ष जिसके बारे में कहा जाता है कि इसे खुद भगवान ब्रह्मा ने स्वर्ग से लाकर रोपा था।
उदाहरण :
अक्षयवट के नीचे स्थित पिंडवेदी पर श्राद्ध करने के बाद ही श्राद्धकर्म को पूर्ण या सफल माना जाता है।
पर्यायवाची : अक्षयवट